
-धरमजयगढ़।
किस तरह से लोगों को छला जा रहा है यहां से कोयला निकालने के लिए, कंपनियों द्वारा नोटों में बिक गये हैं हमारे यहां के तमाम जनप्रतिनिधि ऐसा भी होता है। निरीह जनता के साथ चापलूस प्रशासन तंत्र और भ्रष्ट शासन के बीच बेच दिया गया है धरमजयगढ़ विधानसभा को। दस किलोमीटर के दायरे में पुरातत्व विभाग के एतिहासिक स्थल भी हैं, जैसे गलीमार, खर्रा और कई गुफाएं भी इस क्षेत्र में हैं। तो वहीं यह पूरा क्षेत्र घने जंगलों से भरा पड़ा है, जिसमें हाथी और भालू के अलावा कई किस्म के जंगली जानवरों की प्रजातियां पाई जाती है, पूरा क्षेत्र हाथी प्रभावित क्षेत्र है। वन विभाग वालों के मुआवजे से भी स्पष्ट हो सकता है कि ये हाथी प्रभावित क्षेत्र है। सरकार का स्पष्ट नियम है कि ऐसे जगहों में कोयला उत्खनन के लिये जगह नहीं दिया जा सकता। सरकार के ही नियमों की धज्जियां उड़ रही है।
ग्रामीणों की व्यथा प्रशासन ने नहीं सुनी
गांव से 80 किलो मीटर दूर जिला मुख्यालय में महिला पुरूष अपनी व्यथा सुनाने के लिए जिले की मुख्या के पास गाडिय़ों में भर-भरकर गये थे लेकिन इन गरीब आदिवासियों की दर्द को सुनने कोई नहीं आया। मां अपनी छोटे-छोटे बच्चों को लेकर रायगढ़ पहुंची थी लेकिन इसका दुख दर्द सुनने वाला कोई नहीं मिला थक हार कर ग्रामीण जिला मुख्यालय से चले आये। अब आप सोच सकते हैं कि शासन-प्रशासन कंपनी के आगे किस तरह से नतमस्तक हो गये है?
अडानी प्रशासनिक दबाओं में और पैसे के बल पर भले जन सुनवाई सम्पन्न करा ले लेकिन गांव वाले थोड़े जाकरुक होकर संबंधित विभागों में शिकायत कर निरस्त करा सकते हैं खदान

पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन अधिसूचना (ईआईए) 2006 के तहत पर्यावरणीय स्वीकृति हेतु ईआईए प्रक्रिया में प्रभावित समुदाय निम्नलिखित हस्तक्षेप कर सकते हैं और परियोजनाओं की स्वीकृति के निर्णय में सहभागी हो सकते है:
परियोजनाओं के वर्गीकरण के आधार पर केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा दो समितियों का गठन किया गया है जो ईआईए की पूरी समीक्षा कर स्वीकृति पर निर्णय लेते हैं। पहला विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (ईएसी) और दूसरा राज्य स्तरीय पर्यावरण समाघात निर्धारण प्राधिकरण (एसईएसी)
- परियोजना हेतु टर्म्स ऑफ रिफरेन्स जारी करने संबंधित प्रस्ताव पर उक्त समितियों को आपत्ति प्रेषित की जा सकती है।
केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के वेबसाइट परिवेश पोर्टल पर परियोजनाओं के प्रस्ताव और उस पर निर्णय हेतु नियत ईएसी/एसईएसी की बैठक की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इसके बाद परियोजना से होने वाले पर्यावरणीय और सामाजिक दुष्प्रभावों के बारे में ईएसी को लिखित पत्र प्रेषित कर अवगत कराया जा सकता है।

- परियोजना की ईआईए रिपोर्ट का अध्ययन कर इसमें अगर कोई भी जानकारी छिपाने या गलत ढंग से प्रस्तुत किया गया हो तो उसकी भी आपत्ति ईएसी/एसईएसी तथा केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के इम्पैक्ट असेसमेंट डिवीजन को भेजी जा सकती है।
- लोक सुनवाई के आयोजन में भी लिखित एवं मौखिक आपत्तियां दर्ज कराई जा सकती है। यह आपत्ति छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल को प्रेषित की जा सकती है।
- लोक सुनवाई पश्चात तैयार की गई अंतिम ईआईए रिपोर्ट का भी अध्ययन कर प्रभावित समुदायों द्वारा परियोजना के संबंध में उठाए गए सवालों और आपत्तियों का जवाब कंपनी द्वारा प्रस्तुत किया गया है या नहीं इसकी जांच कर ईएसी/एसईएसी को सूचित किया जा सकता है।
प्रभावित ग्रामीण संबंधित निम्न विभागों में शिकायत दर्ज कर खदान निरस्त करा सकते हैं
★ पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (भारत सरकार)
सचिव, इंदिरा पर्यावरण भवन, जोरबाग रोड, नई दिल्ली – 110003
फोन-011-24695262, 24695265, इमेल आईडी secy-moef@nic.in
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (भारत सरकार)
एडीस्नल प्रिंसिपल चिफ कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट, क्षेत्रीय कार्यालय (WCZ) ग्राउंड फ्लोर, ईस्ट विंग, न्यू सेक्रेट्रिएट बिल्डिंग सिविल लाईन, नागपुर – 440001
फोन-0712-2531318, इमेल आईडी apccfcentral-ngp-mef@gov.in
छ.ग. पर्यावरण संरक्षण मंडल
सदस्य सचिव
पर्यावास भवन, नार्थ ब्लॉक, सेक्टर 19 अटल नगर, जिला रायपुर (छ.ग.) 492002
फोन 0771-2512220, इमेल आईडी hocecb@gmail.com
राज्य स्तर विशेषज्ञ अंकन समिति, छत्तीसगढ़ (SEAC)
पर्यावास भवन, नार्थ ब्लॉक, सेक्टर 19 अटल नगर, जिला रायपुर (छ.ग.) 492002
इमेल आईडी – seaccg@gmail.com
राज्य स्तर पर्यावरण समाघात निर्धारण प्राधिकरण (SEIAA) पर्यावास भवन, नार्थ ब्लॉक, सेक्टर 19 अटल नगर, जिला रायपुर (छ.ग.) 492002 इमेल आईडी – seiaccg@gmail.com


